राम कृष्ण हरी | पाण्डुरंग हरी |
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Wednesday, August 18, 2021

माऊली

आरोहण ज्याचें नंदीवरी । वामांकी शोभे गिरिजां नारी ॥१॥

त्रिशुळ डमरु शंख कपाल । मस्तकी गंगा चंद्रभाळ ॥२॥

अंकीं षडानन गजवदन । सदा प्रसन्न ज्याचें ध्यान ॥३॥

भुतें वेताळ शोभती । हर्षयुक्त उमापती ॥४॥

अंगीं विभूति लेपन । सदा समाधि तल्लीन ॥५॥

मुखीं रामनाम छंद । एका जनार्दनीं परमानंद ॥६॥

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